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हम संघर्ष से डरते नहीं, लड़ते हैं

मायानगरी यानि मुम्बई जिसकी पहचान दुनिया में सबसे अलग है। भारत की आर्थिक राजधानी के साथ-साथ फ़िल्म इंडस्ट्री भी यहीं स्थापित है। फ़िल्म इ...

मायानगरी यानि मुम्बई जिसकी पहचान दुनिया में सबसे अलग है। भारत की आर्थिक राजधानी के साथ-साथ फ़िल्म इंडस्ट्री भी यहीं स्थापित है। फ़िल्म इंडस्ट्री में जगह बनाने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रतिदिन छोटे-बड़े शहरों से जाने कितने लोग यहां खींचे चले आते हैं। लेकिन उनमें से कुछ को ही मक़ाम मिल पाता है और कुछ लोग की पूरी उम्र संघर्ष में ही गुज़र जाती है। हम भी इस शहर में अपनी पहचान बनाने के लिए आये हैं और एक दिन अपना मक़ाम हासिल कर के रहेंगे। क्योंकि "हम संघर्ष से डरते नहीं, लड़ते हैं"।

उपर्युक्त बातें हमसे शेयर किया "राजीव रंजन" ने। जो मुम्बई फ़िल्म इंडस्ट्री में बतौर एक्टर अपनी पहचान बनाने में जुटे हुए हैं। 

क़रीब 15 से भी ऊपर शार्ट फ़िल्म, 5 गानों में अपनी एक्टिंग से सबका दिल जीतने वाले इस एक्टर ने यशराज की फ़िल्म और और धाराविहक "पिया अलबेला" में भी अपनी एक्टिंग का जादू बिखेरा है। 


बिहार के पटना जिले के नौबतपुर गाँव से बिलांग करने वाले एक्टर "राजीव रंजन" पिछले 4 सालों से मुम्बई में बरकरार हैं। अपना अनुभव शेयर करते हुए कहते हैं- आसान नहीं है फ़िल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाना। लेकिन साथ-साथ उनका ये भी कहना है कि मुश्किल भी नहीं। कई ऐसे लोग हैं जो छोटी-छोटी जगहों से इस शहर में आते हैं और अच्छा काम करते हैं और कुछ अच्छा कर भी रहे हैं। मुझे यक़ीन है कि अगर आप दिल से कुछ भी करने की ठान लेते हैं तो आपको हर वो चीज़ मिल जाती है, जिसकी ख़्वाहिश है आपको। मैं जोश, जुनून और पूरी लगन से रोज़ मेहनत करता हूँ और मुझे पता है मैं एक दिन इस फ़िल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बना लूंगा।

हम आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं "राजीव रंजन" जी और फ़िल्म इंडस्ट्री में आपको बड़ी पहचान मिले और साथ ही साथ हमारी ये भी चाहत है कि आपका "सिलसिला ज़िन्दगी का" यूं ही चलता रहे। 

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