Page Nav

HIDE

Gradient Skin

Gradient_Skin

यह भी पढ़िए

latest

चिट्ठी आई है/Chiththhi aai hai

चिट्ठी आई है/Chitthi Aai hai आदरणीय मामा जी.....आदरणीय पिता जी.......सादर प्रणाम......!!! प्रिय बेटे.....आशीर्वाद.......!! दोस्तों...

चिट्ठी आई है/Chitthi Aai hai

आदरणीय मामा जी.....आदरणीय पिता जी.......सादर प्रणाम......!!!
प्रिय बेटे.....आशीर्वाद.......!!
दोस्तों....!! याद आया कुछ...? जी हाँ, आपको बीता हुआ कल याद आ गया होगा। वो चिट्ठियाँ, वो तार, वो डाकिया...सब याद आ गया होगा आपको। वो पिता को अपने पुत्र की चिट्ठी का इंतज़ार, वो पुत्र को अपने बेटे की चिट्ठी का इंतज़ार और उस उदास सजनी को अपने साजन की चिट्ठी का इंतज़ार....जो तेज़ी से ख़तम हो रहे सावन में अपने साजन के चिट्ठी का रास्ता देख रही है। उस प्रेमिका को अपने प्रेमी के चिट्ठी का इंतज़ार.....जो प्रेम में दीवानी अपनी आंखें बिछाये बैठी है। 
कितना अच्छा था वो दौर? उन चिट्ठियों के इंतज़ार, वो पवित्र प्यार, वो इंतज़ार भरी निगाहें, रोज़ तकती राहें। कहाँ गया वो वक़्त?



अब तो सब कुछ बदल चुका है। चिट्ठियों का दौर चला गया। अब तो उसकी जगह मोबाइल ने ले लिया। किसी की ख़बर लेनी है, तुरंत फोन लगाओ और बातचीत शुरू।
लेकिन चिट्ठियों का दौर भी क्या दौर था दोस्तों?  डाकिये को देखते ही लोगों का पूछना- मेरा कुछ आया है क्या...? और डाकिये का कहना- नहीं। फिर हम थोड़ा मायूस। और किसी दिन दरवाज़े पर पहुँचकर वही डाकिया कहता था...कोई है क्या...? चिट्ठी आई है। तब सभी खुशी से दौड़ते थे और वो खुशी भी क्या खुशी होती थी। जैसे चिट्ठी नहीं, सारी क़ायनात चलकर आई हो। और उस चिठ्ठी में लिखा हुआ " आदरणीय पिता जी.........प्रिय बेटे".....वाह!! दिल को छू जाता था।
अब ये इतिहास है। अब कहाँ कोई चिट्ठी आती है और कहाँ डाकिया कहता है, चिट्ठी आई है। अब सब कुछ बदल चुका है। तकनीकी क्रांति ने हर मुश्किल को आसान कर दिया है। 

"वो चिट्ठियां उदास रहती हैं, वो डाकिया भी अब मुस्कुराता नहीं.....वो प्यार भरे शब्द भी ख़ामोश रहते हैं, अब उन्हें उन चिट्ठियों में सजाता नहीं"
दोस्तों!! क्या आपने भी कभी लिखी है किसी कोसी चिट्ठी? तो मुझे ज़रूर बताईये। अपना एहसास। 

No comments

Advertisment