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वो मेरे गले से इस तरह लिपटी - प्यार और बेवफ़ाई की शायरी ज़रूर पढ़िए

वो मेरे गले से इस तरह लिपटी पता ही न चला कि ये मिलन है या जुदाई है उसकी निगाहों में कई राज़ छुपे थें एहसास ही न हुआ कि ये प्यार ही उसकी बेव...

वो मेरे गले से इस तरह लिपटी
पता ही न चला कि ये मिलन है या जुदाई है
उसकी निगाहों में कई राज़ छुपे थें
एहसास ही न हुआ कि ये प्यार ही उसकी बेवफ़ाई है।


 

जब से गई वो जुदा हो कर
मेरे लबों पे फिर कभी खुशी नहीं दिखी
उसके साथ ही दिखी थी मुझे
फिर कभी मुझे मेरी "ज़िंदगी" नहीं दिखी।


किसी और को चाहते थे
पर एक बार मेरे दिल में रहकर चले गए हैं
क्यों ना देखूँ रास्ता यारों
इंतज़ार करना फिर आऊंगा कहकर चले गए हैं।


बेरहम कहूँ या नादान उन्हें
जो दर्द छोड़कर सारे इब्तिसाम लेकर चले गए हैं
इश्क़ करने का अंज़ाम ये है
ख़ुद किये बेवफ़ाई और मुझे बेवफ़ा नाम देकर चले गए हैं।


जो बात-बात पर मुझसे प्यार का दावा करते थे

और हक़ीक़त में वो मुझसे छलावा करते थे 

रोज़ हज़ारों ज़ख्म देते थे इस दिल को 

और ख़ुद ही मरहम लगाने का दिखावा करते थे

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