Ghazal: True line-हर मोड़ पर चेहरा बदलते हैं लोग रोज़ यहाँ
https://www.amazon.in/amazonprime?&linkCode=ll2&tag=news0c0f-21&linkId=38309fc63d473e62650c06df2fe88330&language=en_IN&ref_=as_li_ss_tl

ADVERTISMENT

Editors Choice

3/recent/post-list

Ghazal: True line-हर मोड़ पर चेहरा बदलते हैं लोग रोज़ यहाँ

Ghazal: True Line
हर  मोड़  पर  चेहरा  बदलते हैं  लोग  रोज़  यहाँ
आज  के दौर में  इंसान, इंसान कहाँ  रह  गया है!
वो  बीते  कल  के किस्से हैं, वो पुरानी कहानी है
अब नई सड़क पे पुराना मकान कहाँ रह गया है!!


एक पत्थर को भी आंखों से भगवान बनते देखा हूँ!
लेकिन आज तक नहीं आदमी को इंसान बनते देखा हूँ!!

किसी ने मुझ से पूछा क्या तुमने भगवान को देखा है
मैंने उससे पूछा क्या तुमने  किसी  इंसान को देखा है?
तो इतना सुनते ही  वो मुझ  से  तुरंत  ख़फ़ा हो  गया
वो इंसान ही था, पर पल भर फिर में आदमी हो गया!!

बहुत दिनों से एक आदमी को नहीं देखा है!
देखना  कहीं  वो  इंसान तो नहीं हो गया है!!


बड़ी क़ीमत है यहाँ चेहरे पर बनावटी मुस्कान की!
तभी तो कोई क़द्र नहीं रह गई है बेचारे इंसान की!!

तुम  मेरी और हम तुम्हारी पहचान बनते हैं!
चलो, आज से  हम  एक  इंसान  बनते  हैं!!


Post a Comment

0 Comments