Love Poem, Love Shayari, Love Ghazal Silsila Zindagi Ka कौन इस दिल में फिर से मोहब्बत भर गया कौन मेरी रूह को फिर से बेचैन कर गया। क...
Love Poem, Love Shayari, Love Ghazal
Silsila Zindagi Ka
कौन इस दिल में फिर से मोहब्बत भर गया
कौन मेरी रूह को फिर से बेचैन कर गया।
कौन है जो दस्तक दिया है मेरी ज़िंदगी में
कौन है जो दर्द बनने आया है मेरी खुशी में।।
इन बेचैन निग़ाहों को इंतज़ार किसका है
मेरे मासूम दिल को ऐतबार किसका है।
हर बात अल्फ़ाज़ों से ही बयाँ नहीं होती
महसूस करो मेरे दिल में प्यार किसका है।।
Love Poem
पागल है दिल जो हर दर्द को सहता है
रोता है पर किसी से कुछ नहीं कहता है।
इसकी ख़ामोशी कोई समझ नहीं पाता
हर दिन, पर हर पल यह बेचैन रहता है।।
लफ्ज़ ख़ामोश हैं और निगाहें नम हैं
तेरे चले जाने से ज़िन्दगी में हज़ारों ग़म हैं।
ना जीने का ठिकाना ना मरने की वज़ह है
हम तो हैं, पर हम नहीं रह गए हम हैं।।
Silsila Zindagi Ka
कौन इस दिल में फिर से मोहब्बत भर गया
कौन मेरी रूह को फिर से बेचैन कर गया।
कौन है जो दस्तक दिया है मेरी ज़िंदगी में
कौन है जो दर्द बनने आया है मेरी खुशी में।।
इन बेचैन निग़ाहों को इंतज़ार किसका है
मेरे मासूम दिल को ऐतबार किसका है।
हर बात अल्फ़ाज़ों से ही बयाँ नहीं होती
महसूस करो मेरे दिल में प्यार किसका है।।
Love Poem
पागल है दिल जो हर दर्द को सहता है
रोता है पर किसी से कुछ नहीं कहता है।
इसकी ख़ामोशी कोई समझ नहीं पाता
हर दिन, पर हर पल यह बेचैन रहता है।।
लफ्ज़ ख़ामोश हैं और निगाहें नम हैं
तेरे चले जाने से ज़िन्दगी में हज़ारों ग़म हैं।
ना जीने का ठिकाना ना मरने की वज़ह है
हम तो हैं, पर हम नहीं रह गए हम हैं।।