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भाग चमेली भाग: A HEART TOUCHING STORY

BHAAG CHAMELI BHAAG: STORY Written By- Anshu kumar (अंशु कुमार Film और SERIAL के जाने-माने DIRECTOR और WRITER हैं और मुम्बई में ...


BHAAG CHAMELI BHAAG: STORY

Written By- Anshu kumar

(अंशु कुमार Film और SERIAL के जाने-माने DIRECTOR और WRITER हैं और मुम्बई में रहते हैं)


राजू अभी-अभी किशोरावस्था की दहलीज़ पर पहुंच कर अपनी जवानी का परचम लहरा रहा था । जवानी में वह सब कुछ करना चाहता था, जो उसके पिता अपनी जवानी में न कर पाए थे क्योंकि हर बाप अपने बेटे से वही कराना चाहता है जो वो खुद कर नही कर पाये या फिर जो बनना चाहते थे और वो बन नही पाये। राजू के पिता को भी राजू से यही उम्मीद थी कि राजू वही करे जो उसके पिता बोलें । राजू भी पिता के शरण में  भली भांति पनप रहा था जैसे उनके पिता चाहते थे पर कितना भी बच्चों को सर्दियों में ढक कर रखो जुखाम हो ही जाता है कहने का मतलब ये है कि राजू के पिता के सपनो को बर्बाद करने के लिए एक भगवान रूपी निर्मित पिता की एक कन्या भी अपनी  किशोरी अवस्था मे पहुच कर एक चमेली के फूल सी पूरे मोहल्ले में महक रही थी । चमेली की खुशबू राजू की नाक से कुछ दूरी पर ही थी । राजू को इस चमेली की खुशबू का चनारामिरित तब नसीब हुआ जब दोनों का दसवीं की बोर्ड परीक्षा का सेंटर एक ही स्कूल में पड़ा । चमेली की खुशबू तो तेज थी पर पढ़ाई की खाद काम पड़ी हुई थी और राजू के पिता ने राजू के अंदर वो खाद कूट कूट कर भर रखी थी । दोनों की मुलाकात पहले दिन परीक्षा शुरू होने से पहले ही हो जाती है । राजू चमेली की खुशबू का दीवाना और चमेली राजू के खाद की दीवानी हो जाती है । एक महीने की परीक्षा में राजू ने अपने पिता की ज्ञानी खाद को चमेली पर निछावर कर देता है ।   चमेली और राजू  की दोस्ती  फाइनल रिजल्ट तक ले आती है । राजू के कुछ निजी सलाहकारों ने सलाह दे कर राजू को उसके बलिदान का नाम मोहब्बत दे दिया । राजू अपने सलाह करो कि सलाह ले कर चमेली को अपने प्यार से अवगत कराया और सात जन्म साथ न छोड़ने की विश्वास दिलाते हुए I love u कह ही दिया । चमेली को I love u सुन कर एक करेंट स लगता है और राजू को इससे बड़ा सदमा तब लगता है जब चमेली राजू को अपने सच्चे प्यार का नाम बताती है । राजू को चमेली की बात सुनते ही अब राजू पतझड़ के मौसम के बीचों बीच खड़ा था  । चमेली जिससे प्यार करती है वो कोई मामूली व्यक्ति नही था वो भी अपने इलाके का एक महा नायक था जिसे लोग भोजपुरी जगत में निरहुआ के नाम से जानते थे । राजू अपने प्यार में दीये गये सभी गिफ्ट को एक एक कर के बारी बारी गिनवता है लेकिन चमेली टस से मस नही होती । राजू अपने प्यार को ले कर चमेली के सामने गिड़गिड़ाते हुए कई घंटे बीता चुका था जिसमें चमेली ने राजू को उसकी औकात से भी कई बार परिचित कर दिया था । राजू के पिता आज भी अपनी पुरानी आटे की चक्की चला रहे है जो इनको दहेज में मिली थी और उसी चक्की के आटे को खिला कर राजू को बड़ा कर यह थे। चमेली इनके औकात से उची थी क्योंकि जो भी राजू के पिता की चक्की में जिस दुकान का गेहूं पिस्ता था वो चमेली के पिता की दुकान से ही जाता था यानी कि मुहल्ले में खूब चलेने वाली दुकान के मालिक भगवान जी की बेटी थी । राजू चमेली को हर प्रेमियों का वास्ता देते हुए गुहार लगाई पर चमेली के कान पर जूं तक न रेगीं आखिर में राजू एक शपत लेता है कि चमेली सिर्फ मेरी है और किसी की नही । राजू अब निरहुआ रूपी अपने प्रेम के विलन को रास्ते से हटाने का प्लान बना बैठता है लेकिन राजू ये सब  करने के चक्कर मे खुद ही चमेली की नजर में विलेन बन कर उभरता है। राजू की अब रातो की नींद और दिन का चैन खो सा गया था जहाँ एक समय चमेली राजू के सपनो में आकर फूलों की बगिया सजती थी वहीं अब निरहुआ उस बगिया को उजड़ता हुआ दिखाई देता था। राजू को एक मौका मिल ही जाता है अपने प्यार के बीच आये हुए कांटे को साफ करने का । राजू निरहुआ तक पहुँच जाता है जहां निरहुआ की फ़िल्म शूटिग हो रही होती है । निरहुआ की फैन फॉलोइंग देख कर राजू घबरा जाता और सात जन्म साथ निभाने वाली चमेली निरहुआ की बांहो में नजर आती है । निरहुआ तक राजू का पहुचना आसान नही था फिर भी एक मौका राजू को मिल ही जाता है किसी फिल्म में शाहरुख खान ने सही ही कहा है कि ‘ "किसी को शिद्दत से चाहो तो उसे पूरी कायनात मिलाने में मदद करती है।" राजू अपने प्यार में आये विलन का खात्मा करने का पक्का प्लान बना चुका था पर निरहुआ के भी भाग्य के सितारे बुलंद थे । राजू आरा जिले के माहौल की नज़ाकत को देखते हुए निरहुआ को अपने घर पर किडनैप कर के उठा लाता है और अपने पिता के आंटे की चक्की से बांध कर रख देता है। राजू की आंखों को देख कर यही मालूम पड़ता था कि कल सुबह मुहल्ले के लोगो को गेहूँ का आटा पिसा हुआ नही निरहुआ पिसा हुआ बोरी में मिले गा । पर ग़म इस बात का है कि निरहुआ के सितारे बुलंद थे और मुहल्ले का ट्रांसफॉर्मर उड़ा हुआ था इस लिये चक्की का चलना न मुमकिन था । राजू चाहकर भी अपने प्रेम के विलन का कुछ उखाड़ नही पाया इस लिये निरहुआ को चक्की से बांधे रखना ही उचित था  ।।
क्या राजू को अपना प्यार मिल पाता है? क्या निरहुआ, राजू के चंगुल से बच पाता है? चमेली किसके साथ और कहाँ भागती है? जानिए सिलसिला ज़िन्दगी का के अगले अंक में।।
और हमें ज़रूर बताईये कि कैसी लगी "अंशु कुमार" द्वारा लिखी हुई कहानी।।

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