WELCOME TO MY BLOG: SILSILA ZINDAGI KA GHAZAL चलो हर हाल में मुस्कुरा के जीते हैं सबको अपने गले से लगा के जीते हैं ...
WELCOME TO MY BLOG: SILSILA ZINDAGI KA
GHAZAL
चलो हर हाल में मुस्कुरा के जीते हैं
सबको अपने गले से लगा के जीते हैं
बेकरारी में भी दिल को मिल जाएगा सुकूं
एक-दूजे को हाल-ए-दिल सुना के जीते हैं
जो है उसे और भी बेहतर बनाते हैं
जो बीत गया उस को भुला के जीते हैं
ज़िंदगी अनमोल है इसे ज़ाया ना करो
जीने का कोई बहाना बना कर जीते हैं
मोहब्बत की बात ही कुछ और है यारों
चलो नफ़रत को दिल से मिटा के जीते हैं
ख़ुद के लिए जीया हमने तो क्या जीया
गैरों का भी दर्द कभी उठा के जीते हैं
SHAYARI 1:
SHAYARI 2:
मैं करता नहीं परवाह कभी
क्या खोना और क्या पाना है
अज़नबी गलियों का मुसाफ़िर हूँ
ना मेरी मंज़िल है ना ठिकाना है
SHAYARI 3:
चलो चलते हैं अब चलने का वक़्त आ गया है
थोड़ा बदलते हैं अब बदलने का वक़्त आ गया है
SHAYARI 4:
इस ज़माने में जी नहीं लगता
चलो एक नया ज़माना बनाते हैं
एक-दूजे का हाथ पकड़ कर
रोज़ एक नया फ़साना बनाते हैं
दोस्तों! आज के सफ़र में बस इतना ही. फिर ले कर आऊंगा कुछ नया आपके लिए. कुछ किसी, कुछ कहानी जिसे पढ़ कर आपका "सिलसिला ज़िंदगी का" चलता रहे.
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