WELCOME TO MY BLOG: SILSILA ZINDAGI KA दोस्तों! आज के अपने पोस्ट में बात करने जा रहा हूँ JAGJIT SINGH और उनकी GHAZALS के बारे में. ...
WELCOME TO MY BLOG: SILSILA ZINDAGI KA
JAGJIT SINGH
दोस्तों! आज के अपने पोस्ट में बात करने जा रहा हूँ JAGJIT SINGH और उनकी GHAZALS के बारे में.
कल शाम को पड़ोस के घर से एक ग़ज़ल की आवाज़ सुनाई दे रही थी "हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छूटा करते, वक़्त की शाख़ में लम्हे नहीं टूटा करते".
ये पंक्तियाँ सुनते ही याद आ गए प्रसिद्ध ग़ज़ल गायक JAGJIT SINGH और सचमुच, जगजीत सिंह ग़ज़लों का हाथ छोड़ कर चले गए, लेकिन आज भी उनकी हर ग़ज़ल उन्हें याद करती है. तभी तो उनका कोई भी ग़ज़ल सुनते ही उनका चेहरा आँखों में तैरने लगता है. आज भले ही जगजीत सिंह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन हर सदा में वो ज़िंदा हैं और ज़िंदा रहेंगे.
ग़ज़ल गायकी के दुनिया के बादशाह JAGJIT SINGH जैसा ना तो कोई हुआ और ना ही कोई होगा. उनके चले जाने से ग़ज़लें उदास हो गयी हैं और यही पूछ रही हैं- चिट्ठी ना कोई सन्देश, जाने वो कौन सा देश जहाँ तुम चले गए".
तुम पास आ रहे हो -GHAZAL
शरू से जगजीत सिंह की ग़ज़लों से मुझे बेहद लगाव था. उनका हर ग़ज़ल आज भी मुझे याद है. बहुत प्रेम करता था उनकी ग़ज़लों से और उनकी आवाज़ से. जब मैं मुम्बई के लिए चला था तो सोच लिया था कि वहाँ मैं जगजीत सिंह से ज़रूर मिलूंगा। लेकिन शायद मेरी तक़दीर में उनसे मिलना नहीं लिखा था और वो जल्दी ही दुनिया को अलविदा कह दिए. शायद मैं देर कर दिया. मैं धीरे-धीरे उन तक पहुँचने की कोशिश कर रहा था और ज़ल्दी चले गए और उनका मुझे एक ग़ज़ल याद आ गए "तुम पास आ रहे हो धीरे,धीरे".
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी-GHAZAL
ख़्वाहिशें क्या होती हैं और उन ख्वाहिशों को कैसे पूरा किया जा सकता है, कोई जगजीत सिंह से सीखे. उन्होंने ही दुनिया को अपनी ग़ज़ल के माध्यम से बताया। शायद ख़्वाहिशों से भी उनका कहीं ना कहीं गहरा लगाव था. तभी तो उन्होंने कह दिया था- हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन, फिर भी कम निकले.
हर घड़ी ख़ुद से उलझना है-GHAZAL
हर हाल में मुस्कुराना, गुनगुनाना ही तो जगजीत सिंह की ज़िंदादिली की पहचान थी. उनको ग़ज़ल से बहुत प्रेम था और ग़ज़लें भी उन्हें बहुत चाहती थीं. वो जो भी कहते थे ग़ज़लों के माध्यम से ही दुनिया को बताते थे, अपनी दास्ताँ सुनाते थे. तभी तो उन्होंने एक ग़ज़ल में कहा था- "हर घड़ी खुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा, मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समंदर मेरा...एक से हो गए मौसमों के चेहरे सारे, मेरी आँखों से खो गया कहीं मंज़र मेरा".
दुनिया से दिल लगा कर दुनिया से क्या मिलेगा-GHAZAL
ज़िंदगी क्या है और इसका अस्तित्व क्या है? अपने ग़ज़ल के माध्यम से भी जगजीत से ने सबको बता दिया। ख़ास कर के उन लोगों को आईना दिखाया जिन्हें बहुत गुरुर था खुद पर और है. उन्होंने कहा- दौलत हो या हुकूमत, ताक़त हो या जवानी, हर चीज़ मिटने वाली, हर चीज़ आनी-जानी...ये सब गुरुर एक दिन मिट्टी में जा मिलेगा, दुनिया से दिल लगा कर दुनिया से क्या मिलेगा।
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन -GHAZAL
बचपन क्या है और कितना अनमोल है बचपन, जगजीत सिंह ने अपनी एक ग़ज़ल में कितनी खुबसूरती से इसका ज़िक्र किया है. उनका यह ग़ज़ल सुनते ही बचपन आँखों के सामने उभर आता है और आँखें भर आती है. "ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो... भले छीन लो मुझ से मेरी ज़वानी, मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन, वो काग़ज़ की कश्ती वो बारिश का पानी।
तेरा हुस्न है जैसा-GHAZAL
मोहब्बत और हुस्न की तारीफ़ भी जगजीत सिंह ने क्या बखूबी किया है. हुस्न की तारीफ़ में उनकी जुबां से निकला हर अल्फ़ाज़ हुस्न की खुबसूरती में चार चाँद लगा देता है. "चाँद भी देखा, फूल भी देखा, बादल, बिजली, तितली, जुगनू, कोई नहीं है ऐसा.... तेरा हुस्न है जैसा... मेरी आँखों ने चुना है तुझको दुनिया देखकर, किसका चेहरा अब मैं देखूं, तेरा चेहरा देख कर".
आज फिर आपकी कमी सी है -GHAZAL
जगजीत सिंह पर लिखते-लिखते मेरा मन उदास हो चुका है. उनका मुस्कुराता और गाता हुआ चेहरा मुझे दिखाई दे रहा है. उनकी सदा मेरी कानों में सुनाई दे रही है. उनकी ग़ज़लें जैसे आवाज़ दे कर कह रही हैं- शाम से आँखों में नमी सी है, आज फिर आपकी कमी सी है.
कहाँ तुम चले गए?-GHAZAL
आज भी उदास ग़ज़लें जगजीत सिंह का रास्ता देखती हैं. आज भी उनके चाहने वाले उनका इंतज़ार कर रहे हैं. ये वादियाँ, ये फ़ज़ायें सब उनके दीदार की आस लिए बैठी हैं. उनकी ग़ज़लों के अल्फ़ाज़ यही पूछ रहे हैं- कहाँ तुम चले गए? हर चीज़ पे अश्क़ों से लिखा है तुम्हारा नाम, ये रस्तें, घर, गलियां, तुझे कर ना सके सलाम।
JAGJIT SINGH KI KUCHH-GHAZALS
यूं तो जगजीत सिंह की सारी ग़ज़लें बेहतरीन हैं. लेकिन उनकी कुछ दिल को छू लेने वाली ग़ज़लें- देख लो आवाज़ दे कर, होश वालों को ख़बर क्या, चराग दिल के जलाओ, प्यार का पहला ख़त लिखने में, बेनाम से ये दर्द, तुझे ढूंढता था मैं, तुंमको देखा तो ये ख़्याल आया, झुकी-झुकी सी नज़र बेक़रार।
दोस्तों! ये था जगजीत सिंह और उनकी ग़ज़लों के बारे में एक छोटा सा पोस्ट. आप मुझे ज़रूर बताईये. कैसा लगा मेरा यह पोस्ट...?
फिर मिलता हूँ अपने ब्लॉग सिलसिला ज़िंदगी का के अगले पोस्ट में.
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