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भारत का एक ऐसा गाँव जो रातों रात हो गया था वीरान, आज वहाँ जाने से डरते हैं लोग

KULDHARA VILLAGE STORY भारत के सभी राज्यों में राजस्थान की बात ही सबसे अलग है यहां के जितने फ़साने हैज़ उतने हक़ीक़त भी है। यहां। की म...

KULDHARA VILLAGE STORY


भारत के सभी राज्यों में राजस्थान की बात ही सबसे अलग है यहां के जितने फ़साने हैज़ उतने हक़ीक़त भी है। यहां। की मिट्टी में आपको सब कुछ मिलेगा। यहां की सुन्दरता यहाँ की संस्कृति और परम्परा ज़ यहां के व्यंजन सब कुछ यहां पर आपको अलग और अनोखा मिलेगा।
राजस्थान की धरती अपने दामन में न जाने कितने रहस्यों को छुपाए बैठी है। यहाँ की कुछ ऐसी वास्तविकता जो सदियों से रहस्य बनी हुई हैं और आज भी लोगों को सोचने पर मजबूर कर देती हैं।
आज मैं राजस्थान के एक ऐसे ही गाँव से आपलोगों  को रूबरू कराने जा रहा हूँ, जो रहस्य से जुड़ा है और इस गाँव का नाम है कुलधारा।

रातों रात ही वीरान हो गया था यह गाँव
राजस्थान के कुलधरा गाँव की कहानी सुनकर शायद आपको यकीन नहीं होगा। लेकिन कुछ बातें सुनने में भले ही अविश्वसनीय लगे, लेकिन सच तो सच ही रहता है। जैसे कुलधरा गाँव की कहानी। जो गाँव रातों रात वीरान हो गया था।

 क्यों और कैसे?
बात 200 वर्ष पुरानी है। यहीं से शुरू होती है कुलधरा गाँव के बर्बाद होने की कहानी। आज कुलधरा भले ही खंडहर हो चुका है लेकिन पहले ऐसा नहीं था, बल्कि आसपास के गांव पालीवाल ब्राह्मणों से आबाद हुआ करते थे।
 लेकिन कहते हैं कि जब बुरा होने वाला होता है तो किसी को ख़बर नहीं चलती और जब तक ख़बर मिलती है तब तक बुरा हो चुका होता है। कुछ ऐसा ही कुलधरा गाँव के साथ, जिसको किसी की बुरी नज़र लग गई और जिसकी बुरी नज़र लगी वो था  रियासत का दीवान सालम सिंह। 
इसी गाँव में एक पुजारी रहता था ,जिस पर सालेम सिंह की बुरी नजर पड़ी और वो उस लड़की का इस क़दर दीवाना हुआ कि अब उसको किसी भी कीमत पर पाने की ठान लिया उसने। 
 सालेम सिंह ने उस लड़की से शादी करने के लिए गांव के लोगों को चंद दिनों की मोहलत दी। ये लड़ाई अब गांव की एक कुंवारी लड़की के सम्मान की भी थी और गांव के आत्मसम्मान की भी। गांव की चौपाल पर पालीवाल ब्राह्मणों की बैठक हुई और 5000 से ज्यादा परिवारों ने अपने सम्मान के लिए रियासत छोड़ने का फैसला ले लिया। अगली शाम कुलधरा कुछ यूं वीरान हुआ, कि आज परिंदे भी उस गांव की सरहदों में दाखिल नहीं होते। 
लेकिन कहते हैं कि गाँव छोड़ते वक़्त उन ब्राह्मणों ने इस जगह को श्राप दिया और तब से यह गाँव आज तक वीरान बै। इतना ही नाहीनज़ कहा तो यह भी जाता है कि इस गाँव में आत्माओं का वास हैं, जो कई तरह से अपनी मौजूदगी साबित कर चुकी हैं।
 बदलते वक्त के साथ 82 गांव तो दोबारा बन गए, लेकिन दो गांव तमाम कोशिशों के बाद भी आबाद नहीं हुए एक है कुलधरा और दूसरा खाभा। 
इस गांव में एक मंदिर है जो आज भी श्राप से मुक्त है। गांव के कुछ मकान हैं, जहां रहस्यमय परछाई अक्सर नजरों के सामने आ जाती है। दिन की रोशनी में सबकुछ इतिहास की किसी कहानी जैसा लगता है, लेकिन शाम ढलते ही कुलधरा के दरवाजे बंद हो जाते हैं और दिखाई होता है रूहानी ताकतों का एक रहस्यमय संसार। लोग कहते हैं, कि रात के वक्त यहां जो भी आया वो हादसे की शिकार हो गया। 

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