Meri Mehbooba/मेरी महबूबा मेरी महबूबा का घर कई महीनों बाद उस मोहल्ले में गया शाम का समय था और हर तरफ रोशनी ही रोशनी। तभी एक बड़ी सी...
Meri Mehbooba/मेरी महबूबा
![]() |
मेरी महबूबा का घर |
कई महीनों बाद उस मोहल्ले में गया
शाम का समय था
और हर तरफ रोशनी ही रोशनी।
तभी एक बड़ी सी इमारत
पर मेरी नज़र पड़ी।
उस इमारत को देखकर
मैं चहक उठा। क्योंकि
इस शहर के इसी इमारत में रहती थी मेरी महबूबा।
लेकिन मुझे तुरंत याद आया
अब नहीं है इसमें
इस इमारत में क्या
अब इस शहर में नहीं रहती।
कुछ समय पहले ही उसने
इस शहर को अलविदा कह दिया था।
Meri Mehbooba/मेरी महबूबा
आज भी याद है उसके साथ
बिताया हुआ हर पल।
रात भर बैठकर बातें करना
हँसना, लड़ना, झगड़ना
सब कुछ याद है अब तक।
पल में अपना बनाना
पल में बेगाना करना।
अपनी क़ातिल अदाओं से
मुझे दीवाना करना।
बात-बात में कसमें खाना
और पल भर में उसे तोड़ना।
जीवन भर साथ निभाने का वादा
और फिर इस बात को पीछे छोड़ना।
इस इमारत को देखकर बीतीं बातें
आँखों के सामने तैर गई।
इमारत को देखते ही मुझे लगा
वो अब भी इसमें रहती है।
लेकिन ये इमारत भी उदास थी
और शायद यही कह रही थी।
अब नहीं रहती वो इसमें
वो चली गई मुझे भी तन्हा कर के।
और शायद अब लौट कर नहीं आएगी।
मैं भी सुबह से शाम तक
उसकी राह देखता हूँ।
मुझे लगता है कभी-कभी
कि वो अपनी ज़ुल्फ़ों को लहराती हुई
मुस्कुराती हुई
चली आ रही है।
लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है।
वो बीते कल की बात थी।
इस शहर के इसी इमारत में रहती थी तेरी महबूबा।
अब भूल जा उसे।
इमारत की ये बात सुन कर मुझे गुस्सा आया
और उदास हो कर वहाँ से चल दिया।
फिर कुछ समय बाद मुझे भी यही ख़्याल आया
ठीक ही तो कह रहा थी वो इमारत।
वो बीते कल की बात है कि
इस शहर के इसी इमारत में रहती थी मेरी महबूबा।
Nyc
ReplyDeleteThanks
ReplyDelete