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Friendship- सुनील दादा और धर्मेन्द्र पांडेय की Friendship

Friendship "Silsila Zindagi ka" (सिलसिला ज़िन्दगी का) आज आपको Friendship का मायने और दो दोस्तों की दोस्ती से परिचय कराने जा र...

Friendship
"Silsila Zindagi ka" (सिलसिला ज़िन्दगी का) आज आपको Friendship का मायने और दो दोस्तों की दोस्ती से परिचय कराने जा रहा है।

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मुझे लगता है कि इस दुनिया में Friendship  से बढ़ कर कोई रिश्ता बड़ा नही होता। क्योंकि ये वो रिश्ता होता है जो दिल से ही शुरू होता है और हमेशा दिल से है जुड़ा रहता है। 

ना इसमें कोई फ़र्ज़ निभाना होता है ना कोई इसमें कर्ज़ चुकाना होता है। इसमें तो बस मुस्कुराते हुए दोस्तों को गले लगाना होता है और इसी को कहते हैं वास्तविक Friendship.



यूँ तो आज कल बहुत कम ही देखने को मिलता है वास्तविक Friendship. लेकिन आज मैं अपने ब्लॉग "Silsila Zindagi Ka" के माध्यम से एक ऐसी ही Friendship को दिखाने जा रहा हूँ, जो सबके लिए उदाहरण है और यह Friendship की कहानी है नौरंगा गाँव के दो दोस्त सुनील दादा और धर्मेन्द्र पांडेय की। इन दोनों की दोस्ती सबके लिए एक मिसाल है। 

कहते हैं कि
 "कभी ज़िन्दगी ने ग़म दिए, कभी ग़म दिया संसार ने, कभी वक़्त ने रुलाया, कभी रुलाया मुझे प्यार ने....कैसे ना कहूँ कि दोस्ती दुनिया का सबसे बड़ा रिश्ता है, हर मुश्किल और अंधेरे में साथ दिया मेरे यार ने"
सुनील दादा ने अपनी और धर्मेन्द्र पांडेय की  एक तस्वीर मुझसे शेयर की। जिसे मैं आप तक पहुंच रहा हूँ।
ये दोनों दोस्त नौरंगा गाँव से belong करते हैं। सोशल मीडिया के साथ- साथ, इनका दिल से दिल का भी अटूट बंधन जुड़ा हुआ है। ये हर दुख-सुख में एक-दूसरे के साथ खड़े रहते हैं। हर मुश्किल का सामना दोनों साथ करते हैं। दोनों साथ हंसते और मुस्कुराते हैं, ज़िन्दगी और दोस्ती का तराना साथ मिल।कर गाते हैं। 
सुनील दादा, जिनके बारे में मैं आपको कल के पोस्ट में बताया था कि ये दिल के बेहद ही अच्छे हैं और एक उम्दा इंसान भी। ये हर किसी के साथ खड़े रहते हैं। बात जब Friendship की आती है तो आपको मैं बता दूँ कि ये ना सिर्फ दोस्ती करते हैं बल्कि दोस्ती के रिश्ते को शिद्दत के साथ निभाते भी हैं। 
कुछ ऐसी ही कहानी है धर्मेन्द्र पांडेय की भी। जिन्हें मैं सोशल मीडिया पर बराबर देखता रहता हूँ और कभी-कभी बातचीत भी होती है। इनका व्यवहार और इनका लहज़ा बेहद सराहनीय है।

मैं आप सभी से कहना चाहूंगा कि अगर दोस्ती ही करनी है और दोस्ती का रिश्ता ही बनाना है तो कुछ ऐसा रखिये। जिसमें ना तो कोई मायने हो और ना ही कोई शर्त। बस सिर्फ रिश्ता हो, बेपनाह, बेपरवाह....दोस्ती का रिश्ता, मित्रता का रिश्ता। 

सुनील दादा और धर्मेन्द्र पांडेय की Friendship पर मैं लिखूँ तो और भी लिखता चला जाऊंगा। क्योंकि इनकी गहरी दोस्ती की कहानी किसी कलम की स्याही से ख़त्म नहीं हो पाएगी।
बस मैं तो यही कहूंगा कि आप दोनों की दोस्ती ता-उम्र यूँ ही बरकरारा रहे और आप दोनों का "सिलसिला ज़िन्दगी का" हमेशा चलता रहे।
दोस्तों! आज का यह Friendship के ऊपर लिखा हुआ यह पोस्ट आपको कैसा लगा ज़रूर बताइये और जुड़े रहिये आप हमारे ब्लॉग के साथ।
ज़ल्द ही मिलते हैं अगले पोस्ट के साथ और अगले पोस्ट में मैं बताऊँगा आपको एक रहस्य। यूँ तो आपने ऊपर से नीचे पानी को जाते हुए देखा होगा, लेकिन एक ऐसी जगह जहाँ पानी नीचे से ऊपर की ओर बहता है। आखिर क्या है इसका रहस्य? बताऊँगा आपको अगले पोस्ट में। तब तक के लिए Bye-Bye.

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