Leader चुनाव का समय आते ही नेता लोगों के वादे शुरू हो जाते हैं। चुनाव जीतने के लिए कोई कुछ वादा करता है तो कोई कुछ। बेचारी भोली-भाली ज...
Leader
चुनाव का समय आते ही नेता लोगों के वादे शुरू हो जाते हैं। चुनाव जीतने के लिए कोई कुछ वादा करता है तो कोई कुछ। बेचारी भोली-भाली जनता इन Leader लोगों के प्यार और दुलार में बह जाती है। और आप हमारे लीडर हैं, दिल से कह जाते हैं।
मैं ऐसा इसलिए नहीं लिख रहा हूँ कि आज सवर्णों को 10% Reservation मिला है। बल्कि मुझे आज याद आ गई कुछ दिनों पहले लिखी एक कविता। किसी भी Leader पर मेरा निशाना नहीं है, क्योंकि मेरी निगाहें बिल्कुल साफ हैं।
चारो तरफ ये चर्चा है
छपा हुआ ये पर्चा है
सब एक ही राग गा रहे हैं
कल नेता जी आ रहे हैं।
नेता जी जब आएंगे
सबके मन की बात सुनाएंगे
ये वादा करेंगे, वो वादा करेंगे
और लोग ख़ूब तालियाँ बजायेंगे।
इस बार जीता तो सड़क बनवा दूंगा
हर घर में मैं बिजली पहुँचा दूंगा
नेता जी ज़्यादा भावुक हुए तो कहेंगे
आसमाँ से मैं तारे तोड़ के ला दूंगा।
अगर मैं जीता तो देखना क्या हो जाएगा
हर बेरोजगार के पास रोजगार हो जायेगा
मैं नेता हूँ कभी भी झूठ नहीं बोलता
मेरी सत्ता में जानवर भी इंसान हो जाएगा।
नेता जी वादा करते हुए ज़ोर से चिल्लायेंगे
लोग भी ज़िन्दाबाद के नारे खूब लगाएंगे
नेता जी दिल जीतेंगे और फिर चुनाव भी
फिर पाँच सालों तक नज़र नहीं आएंगे।
फिर चुनाव का समय नज़दीक आ रहा है
फिर नेता जी के नाम का पर्चा छापा जा रहा है
फिर लोग एक-दुसरे को यही बता रहे हैं
कल नेता जी आ रहे हैं।
और चलते-चलते दोस्तों: किसी ने एक Leader के बारे में कहा था- "बहुत दिनों से एक नेता खो गया है। देखना वो कहीं आदमी तो नहीं हो गया है"।।
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