Teacher सपनों की पाठशाला में शिक्षा की लौ जलाते रहे। ग़ैरों का दर्द भी हर पल अपने कंधे पर उठाते रहे। अपने कर्तव्य पथ पर चलते रहे और हर हाल ...
Teacher
सपनों की पाठशाला में
शिक्षा की लौ जलाते रहे।
ग़ैरों का दर्द भी हर पल
अपने कंधे पर उठाते रहे।
अपने कर्तव्य पथ पर चलते रहे
और हर हाल में मुस्कुराते रहे।
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ये शब्द हमारे एक गाँव के एक ऐसे Teacher (Happy Teachers day) के लिए है, जो सिर्फ पढ़ाते ही नहीं, बल्कि अज्ञानता की गलियों में ज्ञानता दीप जलाते हैं और वर्षों से जलाते आ रहे हैं। एक बार सफ़र पर निकल गए यह सोचकर कि हर किसी को शिक्षित करना है और कई वर्ष हो गए, उनका वही सफ़र ज़ारी है। आज तक डगमगाए नहीं, आज तक लड़खड़ाए नहीं। तभी तो सभी के प्यारे हैं "कन्हैया गुरुजी"।
जब छोटे थे तब से देखते आ रहे हैं, Teacher कन्हैया पांडेय (2020 Teachers Day)जी को। लंबी-लंबी दाढ़ी, उजला पायजामा कुर्ता
पहने हुए, हाथ में चाक, ब्लैकबोर्ड के रंग से रंगे हुए काले हाथ मास्टर साहब आज भी अपने पहने हुए, हाथ में चाक, ब्लैकबोर्ड के रंग से रंगे हुए काले हाथ का निर्वाह कर रहे हैं। एक Teacher के तौर पर उन्होंने अपनी ज़िंदगी का जो अमूल्य क्षण अपने विद्यार्थियों को दिया है, उसे शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता।
बतौर Teacher (Teachers Day 2020) कन्हैया पांडेय जी आज से लगभग 20 साल पहले शिक्षा की लौ जलाना शुरू किए थे। और अब तक न जाने कितने विद्यार्थियों के जीवन (Teacher makes li life) को एक नई दिशा औए दशा प्रदान कर चुके हैं। उनके द्वारा पढ़ाये गए विद्यार्थी आज कई जगहों पर, कई पदों पर विराजित अपना नाम रोशन कर रहे हैं।
ईमानदारी की मिसाल और सादगी की परिभाषा, कोई Teacher कन्हैया पांडेय जी से सीखे। मेरे घर के पास उनका घर है, इसलिए मुझे बखूबी पता है उनके बारे में। वो शिक्षा की लौ को घर-घर में जिस शिद्दत से बतौर टीचर उन्होंने पहुंचाया है, वो हर किसी के वश की बात नहीं है।
अंग्रेजी और गणित की शिक्षा देने का साथ शुरू हुआ उनका सफ़र आज उनकी महानता की पराकाष्ठा को बयां करता है। वो सिर्फ पढ़ाते ही नहीं, बल्कि सिखाते हैं- एक सभ्यता, संस्कृति और सादगी से जीने की कला को।
आसान नहीं होता आपको अपनी आदतों और नियमों को ता-उम्र बरक़रार राखना। आसान नहीं होता आपको अपने कार्यों से पहचान बनना। लेकिन मुश्किल भी नहीं होता, जब Teacher कन्हैया पांडेय जी की तरह आपकी सोच हो और सकारात्मक सोच हो।
दिखावे की दुनिया से दूर, एक पुरानी सायकल को चलाते और पतली पगडंडी से जाते हुए जब भी इस Teacher को देखता हूँ, मुझे आदर्शता का एक आईना नज़र आता है। और वो आईना कहता है-
तू अपने कर्तव्य पथ पर चल रे मानव!
बदलती है ये दुनिया तो बदलने दे।
उम्मीदों का दामन थाम के चलता जा!
और हर दिल में उम्मीदों का दीप जलने दो।।
आज Teacher कन्हैया पांडेय जी की तस्वीर सोशल मीडिया पर दिखी। जैसे अचानक मेरे दिल ने कहा- लिखने को तो मैं कई विषय अपर लिख चुका हूँ, लेकिन मास्टर साहब के लिए अगर दो-चार अल्फ़ाज़ मेरी कलम से निकल जाए तो, मैं अपने आपको धन्य समझूंगा।
हाँ, इतना तो बखूबी मुझे पता है कि Teacher कन्हैया पांडेय जी की महानता के सामने मेरा हर अल्फ़ाज़ छोटा पड़ जायेगा। क्योंकि वो महज़ एक Teacher ही नहीं, बल्कि शिक्षा के एक ऐसे युग हैं, जिन्हें हर युग में, युग-युगांतर तक याद रखे जाएंगे।
CONCLUSION
मास्टर साहब! आप इसी तरह अपनी सादगी और ईमानदारी की मिसाल लिए हुए आने कर्तव्य पथ पर चलते रहिये। क्योंकि
आप शान हैं शिक्षा की
आप पहचान है शिक्षा की।
जो कभी ना मिट पाएगी
आपने बनाई है ऐसी निशान शिक्षा की।
आपका जीवन आपकी नियमों की राहों पर चलता रहे और आपका Silsila Zindagi Ka आगे बढ़ता रहे। हम यही दुआ करेंगें।
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