Sarnath Travel: जहाँ बुद्ध ने दिया था पहला उपदेश धामेख स्तूप भारत (INDIA) की जब भी बात होती है तो सबसे पहले मेरी आँखों के सामने किसी की छव...
Sarnath Travel: जहाँ बुद्ध ने दिया था पहला उपदेश
धामेख स्तूप |
भारत (INDIA) की जब भी बात होती है तो सबसे पहले मेरी आँखों के सामने किसी की छवि उभरकर आती है वो हैं- भगवान बुद्ध!
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मैं बुद्ध को देखना चाहता हूँ। उनके बारे में जानना चाहता हूँ। वो जहाँ-जहाँ अपना कदम रखे वहाँ-वहाँ मैं जाना चाहता हूँ। हाँ, मैं मिलना चाहता हूँ बुद्ध से।
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बुद्धम शरणं गच्छामि |
आरम्भ से लेकर अंत तक मैं बुद्ध के पास जाना चाहता हूँ। बुद्ध के अवशेषों और बुद्ध के ज्ञान से मैं अवगत होना चाहता हूँ, हाँ मैं बुद्ध बनना चाहता हूँ।
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बुद्ध की माहापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर की यात्रा के बाद मन में लालसा जगी बुद्ध के उस स्थान पर जाने की जहाँ उन्होंने अपना पहला उपदेश दिया था।
और सुबह हम बक्सर से सारनाथ (Buxar के लिए रवाना हो गए। करीब 3 घण्टे की अनवरत यात्रा के बाद हम पहुंचे सारनाथ।
जैसे ही हमने सारनाथ की सरजमीं पर अपना कदम रखा मन में एक अलौकिक दिव्यता का एहसास होने लगा और ऐसा प्रतीत हुआ जैसे हमारे समक्ष भगवान बुद्ध खड़े हैं।
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Mohit Paying Guest House, Sarnath में हमने रूम लिया और अपना सामान रखने के बाद सारनाथ में जो हमने पहला दृश्य देखा वो था चौखंडी स्तूप।
Chaukhandi Stupa, Sarnath
सारनाथ का प्रमुख स्मारक चौखंड स्तूप जो महत्त्वपूर्ण बौद्ध स्तूप है। यह स्तूप वाराणसी शहर से 13 कि.मी दूर स्थित है।
जब चीनी यात्री ह्वेनसांग भारत आया था तो इसका वर्णन उसने अपनी किताब में किया था। इस स्तूप का आकार चौकोर है। कुर्सी के आकार पर क्रमशः घटती हुई तीन मंजिलें ठोस ईंटों से बनाई गई हैं, इसलिए इसे चौखंडी स्तूप कहते हैं। इस स्तूप में ईंट और रोड़ी का बड़ी मात्रा में उपयोग किया गया है।
चौखंडी स्तूप, सारनाथ |
यह विशाल स्तूप चारों ओर से अष्टभुजीय मीनारों से घिरा हुआ है। कहा जाता है यह स्तूप मूल रूप से सम्राट अशोक द्वारा बनवाया गया था। गुप्त काल में यह विशाल स्तूप बन गया था।
धामेक स्तूप- Dhamek Stupa, Sarnath
सारनाथ पर्यटकों के लिए धामेक स्तूप (Dhamek Stupa) आकर्षण का विशेष केंद्र है। धामेक स्तूप का निर्माण (When Made Dhamek stupa) 500 ईसवी में मौर्य साम्राज्य के सम्राट अशोक द्वारा (Dhamek Stupa made by Samrat Ashoka in 249 isa poorva) 249ई.पू. में बनवाये गए एक पूर्व स्तूप के स्थान पर किया गया था।
यह सारनाथ की सबसे आकर्षक संरचना है। इस बेलनाकार स्तूप का आधार व्यास 28 मीटर है जबकि इसकी ऊंचाई 43.6 मीटर है। धमेक स्तूप को बनवाने में ईंट और रोड़ी और पत्थरों को बड़ी मात्रा में इस्तेमाल किया गया है। स्तूप के निचले तल में शानदार फूलों की नक्कासी की गई है।
अशोक स्तंभ- Ashoka Stambha
सारनाथ की ही नहीं, बल्कि पूरे भारत की शान सारनाथ स्तम्भ पर एक बार नज़र जाती है तो बस टिक जाती है।
यह वह स्तम्भ है, जिसे सम्राट अशोक ने अपनी निगरानी में निर्माण कराया था। आज भी सारनाथ आने वाले हर पर्यटक अशोक स्तम्भ देखकर गर्व महसूस करते हैं।
जगनाथ सिंह स्तूप- Jagna
सम्राट अशोक के दो स्तम्भों के पास ही मौजूद है जगनाथ सिंह स्तूप (Jagnath Stupa, Sarnath Near Ashoka Stambha).हालांकि इस स्तूप की लंबाई अब समय के साथ छोटी पड़ती जा रही है। हालांकि बड़ी मशक्कत के बाद हमने जगनाथ सिंह स्तूप (Jagnath Singh Stupa, Sarnath). आश्चर्य की यहाँ के कार्यकर्ता भी जगनाथ स्तूप के बारे में नहीं बता पाए।
छोटे-बड़े अन्य स्तूपों और खंडहर में तब्दील हो चुके भवन के टुकड़ों में आज भी दिव्यता नज़र आती है। आज भी ऐसा प्रतीत होता है जैसे हर जगह बुद्ध विद्यमान हैं।
इसमें तनिक भी संदेह नहीं की दूर-दूर तक फैले खंडहरों में भगवान बुद्ध की अलौकिकता और दिव्यता आज भी निवास करती है।
तस्वीरों (Images of Bauddha Bhikshu Home) में आप देख सकते हैं बौद्ध भिक्षुओं के रहने के उन स्थानों को जो आज भी अलौकिक प्रतीत होते हैं।
आज दुनिया तेजी से भाग रही है। बड़े-बड़े महलों के निर्माण हो रहे हैं। पर सारनाथ के स्तूपों और खड़ंहरों (Sarnath Stupa and Khandhar Images) को देखने के बाद तो ऐसा ही प्रतीत होता है जैसे वो दौर तकनीकी दौर नहीं था, पर मजबूती से भरा दौर जरूर था।
आज भी पुरातत्व के ईंटो (Sarnatg Bricks and Stone images) और पत्थरों को देखकर यही कहेंगे की आज के ईंट और पत्थरों (Samrat Ashoka Bricks and stone) में तो जान ही नहीं। मजबूती तो इन्हीं ईंटों और पत्थरों में हैं।
इन ईंटो और पत्थरों की लंबाई और चौड़ाई देखकर आप चौक जाएंगे। और इनकी सुंदरता का क्या कहना! इन्हें बनाने वाले भी बड़े कमाल के होंगे।
इसी परिसर में खंडहरों के बीच विष्णु, गणेश, माँ दुर्गा एवं अन्य देवी देवताओं के अवशेष भी मिल जाते हैं, जिनका निर्माण भगवान बुद्ध ने काराया था।
समय की धारा अनवरत चलती रहती है। और इसी धारा के बहाव में शायद बहुत कुछ बह जाता है और जो अवशेष बचते हैं वही हमारी धरोहर है, वही हमारी विरासत है।
सारनाथ के परिदृश्य इस बात को प्रमाणित करते हैं की आज भी जो हम यहां के दृश्यों को देख रहे हैं इसमें एक दिव्यता की झलक जरूर देखने को मिलती है।
यहाँ के परिसर में आज भी पुरातत्व का एक कुआं मौजूद है, जिसमे बौद्ध भिक्षु स्नान किया करते थे।
वही पास में ही सम्राट अशोक द्वारा बनवाया गया एक स्तूप जो सिर्फ एक पत्थर पर रुका हुआ है।
यहाँ आने के बाद मूलगंध कुटी विहार (Moolgandha Kuti Vihar, Sarnath) में अगर आपने विहार ना किया तो आपका आना बेकार है।
मूलगंध कुटी विहार |
साथ जी पंचायतन मंदिर (Panchaytan Temple, Sarnath) के दर्शन करना भी आपको जरूर है।
Malentum Of Sarnath
Sarnath का Malentum में चारों तरफ हरियाली ही हरियाली (Greenery images of Sarnath) नज़र आती है। हरे-भरे पौधे (Trees in Sarnath) यहाँ की रमणीयता में चार चाँद लगाते हैं। परिसर की सुंदरता देखते ही बनती है।
व्याख्यान केंद्र सारनाथ- Inteperation Centre Sarnath
Malentum के प्रवेश द्वार पर ही आपको सारनाथ व्याख्यान केंद्र (Inteperation Centre) मिल जाएगा। जहाँ जाने के बाद आपको एक वीडियो के माध्यम से यह देखने को मिल जाएगा कि सारनाथ में कहाँ-कहाँ घूमना है।
सारनाथ म्यूजियम- Sarnath Museum
सारनाथ म्यूजिम (Sarnath Museum) में आने के बाद आपको यहाँ बुद्ध के अवशेष (Buddha Moorti in Sarnath Images) और स्तम्भ देखने को मिलते हैं। Ashoka Stambha in Sarnath Museum, Ashoka Chakra in Sarnath Museum.
China Bauddha Temple Sarnath
Chinese Temple Sarnath भी अति रमणीय है। पर ये चाइना मंदिर आज बस नाम का चाइना मंदिर बनकर रह गया है।
Chinese Temple Sarnath |
यहाँ मंदिर की देखभाल करने वाले बौद्ध भिक्षु से हमने जब बात की तो वो बहुत उदास नज़र आये। यहाँ की व्यवस्था और देख-रेख को लेकर काफी असंतुष्ट दिखे।
Chinese Temple Sarnath |
Chinese Baudhdha Temple बारे में Sarnath Monk ने बताया की यह मंदिर 80 वर्ष पुराना है। इस मंदिर में एक बड़ा सा ड्रम रखा है। साथ ही बुद्ध की आकर्षक मूर्ति भी यहाँ पर विराजमान है।
Japanese Bauddha Temple Sarnath
यही पर स्थित है जापान का बौद्ध मंदिर। जिसकी सुंदरता देखने लायक है।
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