कल फिर लिखूंगा तुम पर एक ख़ूबसूरत ग़ज़ल ...
कल फिर लिखूंगा तुम पर
एक ख़ूबसूरत ग़ज़ल
कल फिर लिखूंगा तुम पे
एक प्यार भरा गीत
तुम्हारे हुस्न की तारीफ़ में
कल फिर लिखूंगा तुम पे
एक प्यार सा नज़्म |
कल फिर लिखूंगा तुम्हारी
हर छोटी-बड़ी नादानी
कल फिर लिखूंगा
अपनी और तुम्हारी प्रेम कहानी |
वो तुम्हारा उल्फ़त की चादर में
सिमट जाना लिखूंगा
हँसते हुए मेरी बांहों में
लिपट जाना लिखूंगा
आँखों में आँखें डालकर
उन आँखों की बात लिखूंगा
वो रोज़ का बिछड़ जाना
वो रोज़ का मुलाक़ात लिखूंगा |
वो तुम्हारा बात-बात पर
रूठना और मान जाना लिखूंगा
वो तुम्हारा जाना और फिर आना
और वो तुम्हारा फिर
लौटकर न आना लिखूंगा |
अभी लिखना है बहुत कुछ
कई फ़साने बाकी हैं
अभी कई कहानियां अधूरी हैं
कई किस्से सुनाने बाक़ी हैं|
Umda
ReplyDeleteThanks ji
ReplyDelete