Life poem/ऐ ज़िन्दगी! रुक जा

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Life poem/ऐ ज़िन्दगी! रुक जा

Life poem:Ai Zindagi! Ruk Ja/ऐ ज़िन्दगी! रुक जा

ना जाने किस-किस के
अभी क़र्ज़ चुकाने  बाकी  हैं
 ऐ ज़िंदगी!! रुक जा
कुछ फ़र्ज़ निभाने बाकी हैं
Ai Zindagi! ruk ja, Ruk ja Ai zindagi!

जो दिल में हैं, पर दूर बहुत हैं
बात  अभी   है  उनसे   करनी
मिलकर भी जिनसे ना मिले
मुलाक़ात अभी है उनसे करनी
Life poem जो खफ़ा हुए, जो रूठ गए
उनको भी अभी मनाना है
जो बीच सफ़र में बिछड़ गए
उनसे भी मिलने जाना है
Life poem कुछ किस्से अधूरे रह गए
कुछ रह गए अधूरे फसानें
कुछ तनहा रह गईं ग़ज़लें
कुछ रह गयें अधूरे तराने
Life poem कुछ लफ्ज़ ख़ामोश अभी भी हैं
कुछ अल्फाज़ अभी भी रूठे हैं
हर्फ़, हर्फ़ से है उन्हें जोड़ना
जो हर्फ़ अभी भी टूटे हैं

प्यार बहुत करते हैं तुमसे
हम भी तो तेरे दीवाने हैं
 ऐ ज़िंदगी!! रुक जा
कुछ फ़र्ज़ निभाने बाकी हैं

Life poem: Ai Zindgai! Ruk Ja....A Heart Touching Poem By "Silsila Zindagi Ka"



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