"एक देवी - एक शायर"
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"एक देवी - एक शायर"

(आदित्य कुमार अश्क़ की एक बेहतरीन रचना। ज़रूर पढ़िए। आपके दिल को छू जाएगी यह कविता।)

तेरी साँसों को छूकर
तेरी रूह में उतर कर
दफन कर दिया खुद को
तेरे सीने में।
जिंदगी भीड़ से निकलकर
गुम हो गई कहीं
तेरे जिस्म के अंधेरे
तहखाने में।
एक सवाल जिंदा है
तेरे लबों पे आजतक

आख़िर मेरे महबूब

हम तुम्हें समझते क्या हैं।
माँझी जो साहिल को समझे
राही जो मंजिल को समझे
हम तो तुम्हें बस
इतना ही समझते हैं।
आ लौट के मेरे गले लग जा
मेरे दिल को सकूँ कर दे
नहीं तो फिर उठा हाथों में खंजर
मेरा खून कर दे।
खून का हर कतरा
शौक़ से सँवर जाएगा
तुम थाम लोगी बाहों में
और मेरा दम निकल जाएगा।
मेरी भटकती रूह को 'देवी'
इस तरह सलामत रखना
अपने कलेजे के टुकड़े का नाम
 "आदित्य" रखना।।

                           आदित्य कुमार अश्क़

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