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सितारे अँधेरे में ही चमकते हैं- मार्शल

ज़िन्दगी में कोई भी क्षेत्र हो, कम्पटीशन हर जगह है और अगर बात फ़िल्म इंडस्ट्री में जगह बनाने की की जाए तो ये सच है कि बहुत से लोग talented ह...

ज़िन्दगी में कोई भी क्षेत्र हो, कम्पटीशन हर जगह है और अगर बात फ़िल्म इंडस्ट्री में जगह बनाने की की जाए तो ये सच है कि बहुत से लोग talented होने के बावज़ूद दुनिया के सामने नहीं आ पाते। वो अपनी मंज़िल की तलाश में पूरी ज़िंदगी गुज़ार देते हैं। वज़ह चाहे जो भी हो, पर कहते हैं कि सितारे अँधेरे में ही चमका करते हैं। 



ये सारी बातें हम से शेयर किया एक बेहद ही प्रतिभावान और जुनूनी एक्टर "मार्शल" ने। साथ ही अपने बारे में इन्होंने और भी कई बातें शेयर किया जो मैं अपने ब्लॉग "सिलसिला ज़िन्दगी के" माध्यम से आप तक पहुँचा रहा हूँ।


. आप अपने बारे में बताईये? 

 - मेरा नाम मार्शल है और मैं पंजाब   से   बिलांग     करता हूँ।

. आपने कब सोचा कि आपको एक्टर बनना है? 

- मैं स्कूल टाइम से ही Drama Program करने का बहुत शौक़ीन था। इन सब चीजों में मेरा बहुत मैन लगता था और ड्रामा में मेरी एक्टिंग की लोग बहुत तारीफ़ें किया करते थे। इससे मेरा हौसला बढ़ता था और मैं उससे भी बेहतर अगली बार अच्छा करने का प्रयास करता था और करता भी था। 

. तो वही से आपने सोचा कि आपको इस क्षेत्र में     आगे बढ़ना है?

- हाँ, वो दौर ही था जब मेरी छोटी-छोटी आँखों मे बड़े-बड़े सपने आने शुरू हो चुके थे और इन्हीं बड़े-बड़े सपनों ने मुझे बड़ा करने और बड़ा बनने के लिए प्रेरित किया।

. आपके परिवार में किसी को इस चीज़ से कोई       आपत्ति तो नहीं थी? उनका क्या विचार था आपके बारे में ?

- किसी को कोई आपत्ति नहीं थी और रही बात पिता जी की तो मैं आपको यह बता दूँ कि मेरी कला को सबसे पहले मेरे पिता जी ने ही पहचाना था। हुआ यूँ कि मैं बहुत छोटा था जब, तो एक दिन स्कूल में मैंने कविता गाई थी और मैंने उस कविता का पाठ कर के सबका दिल जीत लिया। Program के अंत में बारिश हो गई तो डैडी ने मुझे अपने गोद में ले लिया और अपनी शर्ट उतार कर मुझे ढ़क लिया ताकि मैं भीग ना जाऊं। शायद वो ही दिन था जब एक कलाकार दुनिया के सामने आया।

. वाह! क्या बात है? आपकी ये बातें दिल को छू गई। 

- हाँ, फिर स्कूल कर बाद कॉलेज तक यही सिलसिला चलता रहा। कहते हैं कि ज़िन्दगी के किस मोड़ पर आपकी सोच बदल जाये, कोई नहीं जानता। और ऐसा ही कुछ हुआ मेरे साथ। college life के दौरान ही जब मैंने स्काउट NCC लिया तो मुझे फौजी बनने का शौक़ चढ़ गया। तो फिर मैंने जिम और मार्शल आर्ट सीखना शुरू कर दिया।


. तब तो उस समय आपका पूरा ध्यान उधर ही शिफ्ट हो गया होगा?

- हाँ, बिल्कुल! उस दौर को भी मैं जी भर कर जीना शुरू कर दिया। जिस जिम में मैं ये सब सीख रहा था, उसके कोच थे "नाहिद क़ुरैशी"। इनका नाम इसलिए मैं ले रहा हूँ क्योंकि इन्होंने ही मुझे हर कदम सहयोग किया, हर वक़्त साथ खड़े रहे और मुझे हर दिन कुछ नया सिखाते रहे।

. मतलब कि आपका मन इसमें ही लग गया।      लेकिन आगे का सफ़र आपका सफ़र कैसा रहा?

- एक बार L.B.S. संस्था की तरफ से Modeling, Dancing, Singing की प्रतियोगिता हुई और मैं अपनी प्रतिभा की बदौलत MR.L.B.S. बना। उसके बाद मैं जैसे हवा में उड़ने लगा।

. तो फिर आपने सोच लिया कि आपको मार्शल आर्ट में ही आगे बढ़ना है?

- नहीं, एक्टिंग का जुनून और एक्टर बनने का ख़्वाब अभी तक दिल में ज़िन्दा था और मैं यह बताना चाहूंगा कि मेरे जिम कोच ने ही मुझे हरयाणवी और पंजाबी एल्बम और फ़िल्म में काम करने का मौका दिया।

. तो फिर तो आपका हौसला बढ़ गया होगा?

- हाँ, फिर तो इसके बाद मुम्बई आने की तैयारी,     जहाँ कई चुनौतियां मेरा इंतज़ार कर रही थीं। 

. अपने मुम्बई के सफ़र के बारे में हमें कुछ बताईये?

- मुम्बई में शुरुवाती दौर बहुत ही संघर्ष भरा था। नया शहर, नई दुनिया, नए लोग। सब कुछ नया। लेकिन मैं हर परिस्थिति में ख़ुद को डगमगाने नहीं दिया। मैं रास्ता ढूंढ़ने लगा, अपने सफ़र को आगे बढ़ाने के लिए। और फिर मैंने अपने हुनर के ज़रिए मैंने मार्शल आर्ट और योगा का क्लास लगाना शुरू कर दिया। जिसमें मेरे दोस्तों और मेरे सर "राजू मोरे" का बड़ा योगदान रहा। जिनकी वज़ह से मैंने "All Mumbai Gold Medalist Shotkan (Karate Inst.) 3 times International winner in freestyle Martial Arts" का ख़िताब जीता और इस ख़िताब के साथ मैंने अपना नाम भी चमकाया।


. वाह!! आपका यह सफ़र बहुत ही लाज़वाब और प्रेरणादायी है। आप हमें ये भी बताईये कि फ़िल्म इंडस्ट्री में आपने कौन-कौन सा प्रोजेक्ट किया है?

- कुछ फिल्मों और सीरियल में मैंने काम किया। इसके बाद अपने दोस्तों के सहयोग से मैंने Short Films बनाना शुरू कर दिया और As A Hero मैंने कई प्रोजेक्ट्स किया। और मैं बता दूँ कि अभी मेरी एक Short Film "Pune Internation Festival में सेलेक्ट हो चुकी है, जिसमें मैं मुख्य भूमिका में हूँ और इसके निर्देशक "दुर्गराज आलोक दर्शी" जी हैं।

. वाह! बधाईयाँ। साथ ही साथ मैं आपको आपके उज्ज्वल भविष्य की भी कामना करता हूँ कि आप इसी तरह तरक्की करते रहें और लोगों का दिल जीतते रहें। सचमुच, आपसे बात कर के बहुत अच्छा लगा और मुझे उम्मीद है कि जो भी आपको पढ़ेगा उसको भी अच्छा लगेगा। मैं दुआ करता हूँ कि इसी तरह आपका "सिलसिला ज़िन्दगी का" आगे बढ़ता रहे।

 - धन्यवाद!

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