चलते जाओ, मंज़िल ज़रूर मिलेगी- आशुतोष पाण्डेय

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चलते जाओ, मंज़िल ज़रूर मिलेगी- आशुतोष पाण्डेय

तक़दीर  कैसे  बदलती  है
मैं तक़दीर बदलना सिखाऊंगा।।
वक़्त से आगे कैसे निकलना है
मैं वक़्त से आगे निकलना सिखाऊंगा।।
मुसीबतों से घबराना नहीं कभी
मैं तुम्हें काँटों पर चलना सिखाऊंगा।।


दोस्तों! कहते हैं कि कुछ लोग तक़दीर ले कर पैदा होते हैं और कुछ लोग अपनी तक़दीर खुद के हाथों लिखते हैं। 
और जो ख़ुद के हाथों अपनी तक़दीर की कहानी लिखते हैं, वो ही एक दिन सिकंदर कहलाते हैं।
आज मैं आपको अपने ब्लॉग के माध्यम से एक ऐसे ही प्रतिभावान व्यक्तित्व से परिचय कराने जा रहा हूँ ,जिन्होंने अपनी तक़दीर की कहानी ख़ुद के हाथों से लिखा है। जी हाँ, इस व्यक्तित्व का नाम है" आशुतोष पाण्डेय"।

रोहतास जिले के जिगनी गाँव से बिलांग करने वाले आशुतोष पाण्डेय पेशे से एक शिक्षक हैं और साथ ही साथ एक उम्दा इंसान भी। 


आरा में FUTURE MAKER के नाम से इनका इंस्टिट्यूट चलता है, जिसमें ये विद्यार्थियों को इंग्लिश पढ़ाते हैं। 
आशुतोष पाण्डेय ने अपने जीवन और अपने करियर से जुड़ी कुछ बातें मुझ से शेयर किया, जो मैं आप तक पहुंच रहा हूँ।

मैं हमेशा बड़े सपने देखता था
आशुतोष पाण्डेय कहते हैं- मैं छोटी उम्र से ही बड़े सपने देखना शुरू कर दिया था और मैंने सोच लिया था कि बड़ा हो कर मैं कुछ बड़ा करूँगा। हालांकि यह नहीं मालूम था कि मैं क्या करूँगा। लेकिन इतना ज़रूर पता था कि मैं कुछ बेहतर ही करूँगा।

सफ़र आगे बढ़ता गया
मैं अपने बड़े बनने के इस ख़्वाब को आंखों में सजाए हुए आगे बढ़ता गया और साथ ही मेरा सफ़र भी आगे बढ़ता गया। मैं गाँव से पढ़ाई पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए आरा चला आया और आरा के बाद आगे की पढ़ाई का सिलसिला ज़ारी रखने के लिए पटना चला आया और वहाँ खूब ज़ोर-शोर से मैंने पढ़ाई-लिखाई शुरू कर दिया।

मेरी सोच बदली, रास्ता बदला और फिर मैं
पटना में पढ़ाई का सिलसिला अभी ज़ारी ही था। तब मैं किसी सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा था। लेकिन तभी मेरे मन में यह ख़्याल आया कि मैं अब पढ़ाई नहीं करूंगा और ना ही कोई नौकरी करूँगा। अब मैं कुछ ऐसा करूँगा कि मेरी वज़ह से सैकड़ो लोगों को नौकरी मिलेगी। और मैंने डिसाइड किया कि मैं टीचर बनूँगा। यही से मेरी सोच बदली, रास्ता बदला और फिर मैं भी बदल गया।

जो सोचा, उसकी शुरुवात किया
आशुतोष पाण्डेय मुस्कुराते हुए कहते हैं कि मैं हर किसी से यही कहता हूँ कि "जो भी अच्छा करने का आपके मन में विचार आये, सोचो मत शुरू कर दो"। जैसे मैन सोचा और आरा में FUTURE MAKER के नाम से एक कोचिंग खोल दिया।

परेशानी भरा था शुरुवाती दौर
मुझे याद है मैंने 2013 में आरा में कोचिंग का शुरुवात किया था। और यह भी याद है कि उस समय मुझे कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था? शुरुवाती दौर में मेरी कोचिंग में सिर्फ 5 लड़के थे। एक दौर ऐसा भी आया जब मैं पूरी तरह लड़खड़ा गया। लेकिन मैंने फिर भी हार नहीं मानी और ठान लिया कि चाहे जितनी भी मुश्किलें आ जाएं, मैं और मजबूत होता जाऊंगा और उनसे लड़ूंगा और आगे बढूंगा।

आश्चर्य होता है जब पीछे मुड़कर देखता हूँ
आज मुझे 5 साल इंस्टिट्यूट चलाते हुए हो गया और आज मैं जब भी यहाँ से पीछे मुड़कर देखता हूँ, आश्चर्य होता है। 5 स्टूडेंट से शुरू हुआ मेरा सफ़र आज सैकड़ों तक पहुंच गया है। आज वही मेरा छोटा इंस्टिट्यूट बहुत बड़ा बन चुका है। आज मेरे इंस्टिट्यूट में बहुत स्टूडेंट्स हैं और मैं बहुत खुश हूँ कि FUTURE MAKER सचमुच आज स्टूडेंट्स का FUTURE संवारने का काम कर रहा है और आज मेरा इंस्टिट्यूट बहुत फेमस भी हो चुका है।



सबको दिल से धन्यवाद
मैं शुक्रगुज़ार हूँ उन सभी लोगों का जिन्होंने इस सफ़र में मेरा साथ दिया। अपने पूरे परिवार का एहसानमंद हूँ, जो हर परिस्थिति में मेरे साथ खड़े रहे। और इस सफ़र में मैं अपने उन दोस्तों को भी नहीं भूल सकता, जिन्होंने मुझे हर कदम पर मेरा जोश बढ़ाया।

चलते जाओ, मंज़िल ज़रूर मिलेगी
और अंत में आशुतोष पाण्डेय मुस्कुराते हुए कहते हैं कि ज़िन्दगी एक बार मिलती है। तो क्यों न हम कुछ ऐसा करें कि दुनिया याद रखे। हमें कभी भी, किसी भी परिस्थिति में हार नहीं माननी चाहिए। मुश्किलें आएंगी, लेकिन आपमें हिम्मत है तो आपके सामने टिक भी नहीं पाएंगी। बस "चलते जाओ, मंज़िल ज़रूर मिलेगी"।

तो दोस्तों! ये थे टीचर और एक बेहतरीन व्यक्तित्व आशुतोष पाण्डेय। आपको इनकी बातें और इनका सफ़र कैसा लगा, हमें ज़रूर बताईये। 
साथ ही साथ हम दुआ करेंगे कि आशुतोष पांडेय का " सिलसिला ज़िन्दगी का" यूँ ही आगे बढ़ता रहे और ये इसी तरह मुस्कुराते रहें!!


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2 Comments

  1. सराहनीय कार्य
    आपकी मेहनत आपको और आगे ले जाए
    Good luck

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