SILSILA ZINDAGI KA वेश्या के साथ प्रेम: सच्ची कहानी ये भी पढ़ें: कैसे हुआ किन्नरों का जन्म? जानिए रहस्य!! SHORT FILM की शूट...
SILSILA ZINDAGI KA
वेश्या के साथ प्रेम: सच्ची कहानी
ये भी पढ़ें: कैसे हुआ किन्नरों का जन्म? जानिए रहस्य!!
वेश्या के साथ प्रेम: सच्ची कहानी
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SHORT FILM की शूटिंग के सिलसिले में उससे मुलाक़ात हुई थी। नाम था मधु। Yes, she was a prostitute. AGE यही कोई 20 साल होगी। सड़क पर टहलते हुए उसने मुझे रेट बताया और उसके पीछे-पीछे चल पड़ा।
मैं उसके पीछे-पीछे कई गलियों से गुज़रते हुए एक अंधेरे कमरे में गया। उसने कहा "चलो, जो भी करना है, ज़ल्दी करो"।
मैंने कहा- देखो, दरअसल मैं DIRECTOR हूँ और PROSTITUTES पर एक शॉर्ट फिल्म बनाना चाह रहा हूँ। तो मुझे तुम्हारे बारे में जानना है, तुम्हारे कैरेक्टर के बारे में जानना है।
तो उसने हँसते हुए कहा- मेरे कैरेक्टर के बारे में और क्या जानेगा? हाँ, मेरे बारे में जानना है या जो पूछना है...पूछ? लेकिन तू जितना समय लगा, उतने पैसे लूंगी।
मैं उसकी बात सुनकर बड़ा अचम्भित हुआ और मैंने हाँ कर दिया और उससे उसकी ज़िन्दगी के बारे में पूछना शुरू किया।
उसने अपनी आप बीती बताई। किस तरह एक ठेकेदार के बेटे से उसे प्यार हो गया था। उसने उसके साथ खूब खेला और जब जी भर गया तो इसी कोठे पर बेच गया। मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं था, यहां घूँट-घूँट के रहने के सिवा। वक़्त और हालात ने सब कुछ सीखा दिया। जब यहाँ मैं आई थी तो मेरा नाम कुछ और था, लेकिन यहाँ आने के बाद मेरा नया नाम मिला- मधु।।
मैं धीरे-धीरे उदास हो जा रहा थी, मधु की बात सुन कर। तभी मैं पूछ बैठा- याद आती है आपको अपने गाँव की?
इतना सुनते ही मधु की आँखें नम हो जाती हैं और वो कांपते हुए होठों पर शब्दों को संभालते हुए कहती है- हाँ, बहुत...!!! सबकी याद आती है अम्मी की। और मेरे गाँव की वो छोटी सी बगिया भी याद आती है। पता नहीं उस तालाब में अभी भी पानी है या सूख गया है। मेरी दोस्त चंदा की तो शादी अब तक किसी बड़े घर में हो गई होगी। और मेरे पिता जी---बीमार रहते थे। फिर भी अपने कंधे से नीचे मुझे नहीं उतारते थे। पता नहीं वो अब इस दुनिया में होंगे या नहीं? बहुत कुछ याद आता है? कभी-कभी जी करता है कि एक बार जाऊं और सबसे मिलूं? लेकिन हिम्मत नहीं होती। क्योंकि समाज की और लोगों की सोच बहुत घटिया हो चुकी है।
मैं मधु की बातें सुन कर इमोशनल हो चुका था? मैंने धीरे से पूछा- मधु एक दिन में तो तुम्हारे पास कई मर्द...?
इतना सुनते ही मधु गुस्से में कहती है- मर्द...!! आज कल मर्द है कौन..? मर्द होते कहाँ हैं? सब नामर्द हैं यहाँ। मर्दानगी का सिर्फ दावे करते हैं और वक़्त आने पर हिजड़े बन जाते हैं।
तभी अंदर के कमरे से एक बच्चे के रोने की आवाज़ सुनाई देती है। मधु आंसू पोछते हुए कहती है- ये भी किसी मर्द की ही निशानी है। शादी करने का वादा करता था। रात गुज़ारता था। महलों में रखने का दावा करता था और जैसे ही पता चला कि मेरे पेट में बच्चा है.....(दूसरी तरफ चेहरा करते हुए) कुत्ता...इस गल्ली में नहीं आया। (आंसू पोछते हुए) मेरा बच्चा रो रहा है।
मधु अंदर चली जाती है और उसकी बातें अभी तक मेरे कानों में गूंज रही थीं। मेरी आँखें भर आईं थीं। मैं उठा और कुर्सी पर 2000 रख कर जाने लगा। तभी पीछे से मधु की आवाज़ सुनाई देती है- सुनो!! अपनी फिल्म में ये भी ज़रूर बताना कि दुनिया में हर कोई बेइमानी कर सकता है, लेकिन एक वेश्या कभी किसी के साथ बेईमानी नहीं करती। हर किसी के सामने एक तरह से पेश आती हैं और हर दर्द को सीने में छुपा कर जीती हैं। तो हमारी महानता भी दिखाना।
मैंने पीछे मुड़कर मधु को देखा जो बच्चे को दुध पिला रही थी। फिर वो अंदर चली जाती है।
दोस्तों! मधु से मुझे प्यार हो चुका था। अगले दिन मैं उसके पास पहुँचा। उसके बच्चे के लिए दूध लेकर। और एक और वाकया सुनने को मिले, जो मैं अगले लेख में बताऊंगा।
मैं उसकी बात सुनकर बड़ा अचम्भित हुआ और मैंने हाँ कर दिया और उससे उसकी ज़िन्दगी के बारे में पूछना शुरू किया।
उसने अपनी आप बीती बताई। किस तरह एक ठेकेदार के बेटे से उसे प्यार हो गया था। उसने उसके साथ खूब खेला और जब जी भर गया तो इसी कोठे पर बेच गया। मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं था, यहां घूँट-घूँट के रहने के सिवा। वक़्त और हालात ने सब कुछ सीखा दिया। जब यहाँ मैं आई थी तो मेरा नाम कुछ और था, लेकिन यहाँ आने के बाद मेरा नया नाम मिला- मधु।।
मैं धीरे-धीरे उदास हो जा रहा थी, मधु की बात सुन कर। तभी मैं पूछ बैठा- याद आती है आपको अपने गाँव की?
इतना सुनते ही मधु की आँखें नम हो जाती हैं और वो कांपते हुए होठों पर शब्दों को संभालते हुए कहती है- हाँ, बहुत...!!! सबकी याद आती है अम्मी की। और मेरे गाँव की वो छोटी सी बगिया भी याद आती है। पता नहीं उस तालाब में अभी भी पानी है या सूख गया है। मेरी दोस्त चंदा की तो शादी अब तक किसी बड़े घर में हो गई होगी। और मेरे पिता जी---बीमार रहते थे। फिर भी अपने कंधे से नीचे मुझे नहीं उतारते थे। पता नहीं वो अब इस दुनिया में होंगे या नहीं? बहुत कुछ याद आता है? कभी-कभी जी करता है कि एक बार जाऊं और सबसे मिलूं? लेकिन हिम्मत नहीं होती। क्योंकि समाज की और लोगों की सोच बहुत घटिया हो चुकी है।
मैं मधु की बातें सुन कर इमोशनल हो चुका था? मैंने धीरे से पूछा- मधु एक दिन में तो तुम्हारे पास कई मर्द...?
इतना सुनते ही मधु गुस्से में कहती है- मर्द...!! आज कल मर्द है कौन..? मर्द होते कहाँ हैं? सब नामर्द हैं यहाँ। मर्दानगी का सिर्फ दावे करते हैं और वक़्त आने पर हिजड़े बन जाते हैं।
तभी अंदर के कमरे से एक बच्चे के रोने की आवाज़ सुनाई देती है। मधु आंसू पोछते हुए कहती है- ये भी किसी मर्द की ही निशानी है। शादी करने का वादा करता था। रात गुज़ारता था। महलों में रखने का दावा करता था और जैसे ही पता चला कि मेरे पेट में बच्चा है.....(दूसरी तरफ चेहरा करते हुए) कुत्ता...इस गल्ली में नहीं आया। (आंसू पोछते हुए) मेरा बच्चा रो रहा है।
मधु अंदर चली जाती है और उसकी बातें अभी तक मेरे कानों में गूंज रही थीं। मेरी आँखें भर आईं थीं। मैं उठा और कुर्सी पर 2000 रख कर जाने लगा। तभी पीछे से मधु की आवाज़ सुनाई देती है- सुनो!! अपनी फिल्म में ये भी ज़रूर बताना कि दुनिया में हर कोई बेइमानी कर सकता है, लेकिन एक वेश्या कभी किसी के साथ बेईमानी नहीं करती। हर किसी के सामने एक तरह से पेश आती हैं और हर दर्द को सीने में छुपा कर जीती हैं। तो हमारी महानता भी दिखाना।
मैंने पीछे मुड़कर मधु को देखा जो बच्चे को दुध पिला रही थी। फिर वो अंदर चली जाती है।
दोस्तों! मधु से मुझे प्यार हो चुका था। अगले दिन मैं उसके पास पहुँचा। उसके बच्चे के लिए दूध लेकर। और एक और वाकया सुनने को मिले, जो मैं अगले लेख में बताऊंगा।
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