क्या दौर था? क्या जमाना था? क्या दृश्य थे? क्या गाने थे? क्या संगीत थे? और क्या फिल्म थी? 1st Bhojpuri Film Ganga Maiya Tohe Piyri chadhai...
क्या दौर था?
क्या जमाना था?
क्या दृश्य थे?
क्या गाने थे?
क्या संगीत थे?
और क्या फिल्म थी?
1st Bhojpuri Film Ganga Maiya Tohe Piyri chadhaibo
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आज भोजीवुड (Bhojiwood Industry) में एक से बढ़कर एक फिल्में बन रही हैं और बन भी चुकी हैं। कई सुपरस्टारों से इंडस्ट्री (Bhojpuri Superstars List) चमक रही है।
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पर ये सच है कि आज भी हम और हमारी भौजपुरी इंडस्ट्री गीत (Bhojpuri old songs) की नकल, संगीत (Bhojpuri old music) की नकल, कहानियों की नकल करती है।
लेकिन आज हम आपको लेकर जाना चाहते हैं भोजपुरी सिनेमा जगत (Starting of Bhojpuri Film industry) के उस शुरुआती दौर में जहां आप गर्व महसूस करेंगे अपनी माटी पर, अपनी भाषा पर और अपनी भोजपुरी फिल्म Industry पर।
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एक ऐसी फिल्म जिसने रिलीज से पहले ही तहलका मचा दिया था। एक ऐसी फिल्म जिसने भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत की नींव डाली थी।
जी हाँ, हम आपको बताने जा रहे हैं भोजपुरी सिनेमा की पहली फिल्म "गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो" (Bhojpuri First Film Ganga Maiya Tohe Piyari Chadhaibo) के बारे में।
How Made Bhojpuri First Film Ganga Maiya Tohe Piyari Chadhaibo?
भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद (First President of India Dr. Rajendra Prasad) ने भोजपुरी की पहली फिल्म बनाने की पेशकश की।
इसके बाद प्रोड्यूसर बिश्वनाथ शाहाबादी (Bhojpuri First Producer Bishwanath Shahabadi) और डायरेक्टर कुंदन कुमार (First Bhojpuri Film Director- Kundan Kumar) इस फिल्म का निर्माण करने में जुट गए।
हालांकि क्षेत्रीय भाषा में फिल्म निर्माण का विचार सबसे पहले अभिनेत्री नरगिस की माँ जद्दनवाई(Nargis Mother JaddanVai) के मन में आया था।
वाराणसी की रहने वाली जद्दनवाई ने इस विषय को लेकर प्रख्यात हिंदी फिल्म के खलनायक कन्हैयालाल (Hindi Film Vilkain Kanhaiyalal) से मुलाकात की और श्री लाल ने इसके लिए हिंदी फिल्मों के चरित्र अभिनेता और लेखक नाजिर हुसैन (Writer Nazir Hussain) से बात की।
फिर क्या था? नासिर हुसैन (Ganga Maiya tohe piyari chadhaibo Movie Writer Nazir Hussain) ने कई महीनों की मेहनत के बाद भोजपुरी की एक अच्छी स्क्रिप्ट तैयार कर डाली।
नाजिर हुसैन ने यह स्क्रिप्ट इतनी दमदार और शानदार लिखी की ढेरों हिंदी फिल्मों के प्रोड्यूसर्स ने इस फिल्म को बनाने का ऑफर दे दिया।
पर लाख कोशिशों के बाद इसे प्रसिद्ध फिल्म निर्माणकर्ता विमल राय भी हासिल नहीं कर सके।
एक फंक्शन के दौरान नाजिर हुसैन की मुलाकात भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद (When Nazir Hussain met Dr. Rajendra Prasad) से हुई।
हुसैन ने डाक्टर राजेंद्र प्रसाद को इस फिल्म की स्टोरी (Ganga Maiya Tohe Piyari Chadhaibo Movie Story) सुनाइ और ये स्क्रिप्ट डॉ राजेंद्र प्रसाद को इतनी पसंद आई की उन्होंने इसे भोजपुरी में बनाने का आदेश दे दिया।
राजेंद्र प्रसाद की इस पहल के बाद "गंगा मैया तोहे पियरी चढ़ईबो" फिल्म शुरू ही होने वाली थी कि पैसों की समस्या सामने आकर खड़ी हो गई।
लेकिन इस समस्या का समाधान तब जल्दी हो गया, जब आरा के व्यवसायी
बिश्वनाथ प्रसाद शाहाबादी इस फिल्म में पैसे लगाने के लिए तैयार हो गए, जिनके पास खुद का स्टूडियो और सिनेमा हॉल भी था।
On Which Location Ganga Maiy Tohe Piyari Chadhaibo Was Shot?
और फिर शुरू हुआ "गंगा मैया तोहे पियरी चढ़ईबो" का निर्माण, जिसका पहला मुहूर्त शॉट पटना के शहीद स्मारक (Patna Shahid Smarak) पर लिया गया।
इसके बाद पटना के गोलघर (Patna Golghar) पर कुछ दृश्य कुछ दृश्य, बिहटा (Ganga Maiy Tohe Piyari Chadhaibo in Bihta)में कुछ दृश्य और कुछ दृश्यों की शूटिंग आरा के रेलवे स्टेशन पर की गई।
और करीब 1 वर्ष में बनकर तैयार हुई भोजपुरी की पहली फिल्म "गंगा मैया तोहे पियरी चढ़ईबो"।
इस फिल्म से भोजपुरी सिनेमा की जगत के एक ऐसा दौर की शुरुआत हुई जिसने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया।
पटना के सिनेमा हॉल में रिलीज से पहले डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के लिए इस फिल्म का स्पेशल स्क्रीनिंग सदाकत आश्रम (Ganga Maiy Tohe Piyari Chadhaibo Special Screening in Sadakat Ashram)में किया गया था।
विधवा पुनर्विवाह पर आधारित फिल्म गंगा मैया तोहे पियरी चढ़ाईबो (Ganga Maiya tohe piyari chadhaibo was based on
widow remarriage) वह को बनाने में कुल ₹5 लाख की (Total Budget of film Ganga Maiya tohe piyari chadhaibo)
लागत लगी, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर रिलीज होते ही इस फिल्म ने ₹9 लाख (Total Collection of film Ganga Maiya tohe piyari chadhaibo) का व्यवसाय कर क्षेत्रीय भाषा की फिल्म के लिए ना सिर्फ कीर्तिमान स्थापित किया, बल्कि भोजपुरी भाषा को गौरवान्वित होने का अवसर भी प्रदान किया।
भोजपुरी माटी की पहचान बनने वाली फिल्म ये फ़िल्म सबसे पहले 1962 के फरवरी माह में वाराणसी के प्रकाश टॉकीज (Ganga Maiya tohe piyari chadhaibo was released in 1962 Varansi Prakash Talkies)में दिखाई गई।
22 फरवरी 1963 का वह दौर- जब भोजपुरी की पहली फिल्म "गंगा मैया तोहे पियरी चढ़ईबो" पटना के वीणा टॉकीज (Ganga Maiya tohe piyari chadhaibo Was released in Veena Talkies 22 February, 1963)में रिलीज हुई तो सड़कों पे बैल गाड़ियों की लंबी कतारें लग जाती थीं।
सिचुएशन ऐसा था कि जब फर्स्ट डे टिकट नहीं मिलता था तब लोग पटना में एक रात बिता कर अगले दिन मूवी देख कर ही घर, अपने गांव वापस लौटते थे।
इस फिल्म का हर सीन काबिले तारीफ था और इस के गीत और संगीत इतने लाजवाब थे कि हर गली, मोहल्ले और चौबारे पर धूम मच गया था।
दमदार होने की वजह से इस फिल्म ने कोलकाता में सिल्वर जुबली (Ganga Maiya tohe piyari chadhaibo Silver jubilee)
मनाई थी और इस फिल्म में काम करने के बाद कई कलाकारों को बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री ने हाथों हाथ उठा लिया था।
इस फिल्म में ग्रेट सिंगर लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी (Lata Mangeshkar & Mohammad Rafi in first film Ganga Maiya tohe piyari chadhaibo)ने भी अपनी आवाज दी थी।
तो ऐसी थी भोजपुरी की पहली फिल्म गंगा मैया तोहे पियरी चढ़ईबो। आज जरूरत है ऐसी ही फिल्म और ऐसे ही गीत, संगीत की जिस पर लोग गर्व करें और इसकी लकीरों पर आगे बढ़ें।
भोजपुरी की पहली की इन्हीं सुनहरे और यादगार लम्हों के साथ silsila zindagi ka आप सबसे विदा लेता हूँ, इसी वादे के साथ की फिर मिलेंगे चलते-चलते।
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